क्या करूं,क्या न करूं, जो सोचे सुबह और शाम !
दुविधा में दोनो गए, न माया मिली न राम !
अच्छा करने से जीवन में, कब किसी ने हमको रोका !
आलस्य के बशीभूत होकर,हम स्वयं गंवा देते हैं मौका !
आम आदमी का मुहावरा, "तुझे याद करा दूंगा नानी"!
मां की याद भी होगी ताजा, यह होगी उसकी मेहरबानी !
"अब दादूर वक्ता भये, फ़िर हमको पूछत कौन" !
दूनिया उनको सुनना चाहती, जो अक्सर रहते हैं मौन !
बन्दूक की गोली से घायल,इंसान अधिक डरता नहीं !
पर जुबान की गाली का जख्म, उम्र भर भरता नहीं !
.
संभल जाता है गिरता व्यक्ति, यदि फ़िसले उसके पांव !
जुबान फ़िसल जाने पर, लग जाती है इज्जत दांव !
जब जब बाल दिवस हैं आते, चाहता मैं भी बच्चा होना !
लेकिन फ़िर घबरा जाता हूं,रास नहीं आता सच्चा होना !
दुविधा में दोनो गए, न माया मिली न राम !
अच्छा करने से जीवन में, कब किसी ने हमको रोका !
आलस्य के बशीभूत होकर,हम स्वयं गंवा देते हैं मौका !
आम आदमी का मुहावरा, "तुझे याद करा दूंगा नानी"!
मां की याद भी होगी ताजा, यह होगी उसकी मेहरबानी !
"अब दादूर वक्ता भये, फ़िर हमको पूछत कौन" !
दूनिया उनको सुनना चाहती, जो अक्सर रहते हैं मौन !
बन्दूक की गोली से घायल,इंसान अधिक डरता नहीं !
पर जुबान की गाली का जख्म, उम्र भर भरता नहीं !
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संभल जाता है गिरता व्यक्ति, यदि फ़िसले उसके पांव !
जुबान फ़िसल जाने पर, लग जाती है इज्जत दांव !
जब जब बाल दिवस हैं आते, चाहता मैं भी बच्चा होना !
लेकिन फ़िर घबरा जाता हूं,रास नहीं आता सच्चा होना !
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