16 October, 2010

भ्रात: प्रेम की कथा रामायण



आओ बच्चो तुम्हे सुनाऐं,अपनी लोकप्रीय कथा रामायण         
राजा दशरथ के पुत्र थे कितने,बन गये राम किस कारण     
कौशल्या रानी के थे पुत्र राम.सुमित्रा माता से थे लछ्मण       
रानी कैकयी के दो पुत्र थे,भाई भरत कुमार और शत्रुघण 
                           
अयोध्या के नरेश थे दशरथ, उनकी थी ये तीनो ही रानी 
चारों भाईयों के भ्रात: प्रेम की, रामायण है अमर कहानी        
विशिषठ ऋषि के आश्रम में, ली चारों भाईयों ने शिझा 
असुरों का कर नाश इन्होने, की ऋषि मुनियों की रझा 
                              
विवाह रचाया पुत्र राम का,लाऐ वधु सीता जनक दुलारी  
ज्येषठ पुत्र के राजतिलक की, फ़िर होने लगी तैयारी  
भरत पुत्र के राज तिलक की, अपने मन मे लेकर आस     
कैकयी रानी ने हठकर मांगा, चौदह वर्ष राम बनवास


सहर्ष चल दिऐ राम और सीता,संग हो लिऐ भाई लछ्मण
भरत शत्रुघ्न ननिहाल गऐ थे,नहीं पास वहां थे उस झण
जब पता चला भरत को, झट्पट दौडे.गऐ फ़िर वन में
लिपट राम से कहने लगे, भैया ले लो मुझे शरण में 


बडी. मुश्किल से माने भरत,जब राम ने बहुत समझाया
सिंहासन पर रख चरण पादुका, चौदह वर्ष राज्य चलाया
इस तरह मातापिता आदेश की, मर्यादा भी सबने मानी
और अनूठे भ्रात: प्रेम की,लिख गऐ यह अमर कहानी
****
सोहनलाल रांका "सहज"  

3 टिप्पणियाँ:

ओम पुरोहित'कागद' said...

आदरजोग रांका सा’ब,
अंतरजाळ रै आंगणै में आपरो सुआगत है सा !
ब्लोगजगत में पग मेलण सारू बधाई !

राजेश चड्ढ़ा said...

आदरणीय रांका जी....ब्लॉगजगत में स्वागत...मानस के अध्भुत पात्र...भरत के भ्रात: प्रेम की अनूठी गाथा ... का वर्णन अपने नाम के अनुरूप सहज भाव से किया है आपने..शुभकामनाएं स्वीकार करें

कवि सहज said...

ओमजी व राजेश जी-- आप दोनो को साभार निवेदन-

जीवन में सच्चे संगी साथी,मिलते हैं पुण्य प्रताप से मैं तो हुं एक नया खिलाडी.,सिखुंगा कुछ आप से

Post a Comment

About Me

My Photo
कवि सहज
View my complete profile